1 Part
265 times read
6 Liked
प्रमुदित गात तुम्हारी यह पावन मुस्कान तुम्हारे नूतन प्रमुदित गात। दीर्घ निशा के बाद अरे यह हंसता हुआ प्रभात। नेत्र पटल में बन्द करूं या निरखूं अरुण कपोल। ...