रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाएं--

114 Part

136 times read

0 Liked

आधी रात में रबीन्द्रनाथ टैगोर ‘‘डॉक्टर! डॉक्टर!!’’ ‘‘परेशान कर डाला! इतनी रात गए–’’ आँखें खोलकर देखा, अपने दक्षिणाचरण बाबू थे। हड़बड़ाकर उठकर टूटी पीठ की चौकी घसीटकर उन्हें बैठने को दी ...

Chapter

×