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सूखे दरख़्त भी खड़े रहते हैं, कई दिनों तक एक नज़र की आस लिए। जो सींच देगा उन्हें अपनेपन से, देगा खाद और मिट्टी प्रेम से भरी, और लहरा सकेंगे वो ...