दरख़्त

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दरख़्तों की इबादत ये पड़े बूंदे वहीं  फिर से मिले उन्हें वही खुशियां हों हरे-भरे फिर से जहां मिट्टी मोहब्बत की  पल्लवित कर दे जीवन को उठे हिलोरें दिल में फिर ...

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