1 Part
255 times read
10 Liked
विनती करती रही(प्रतियोगिता के लिए) देखकर जग की दुर्दशा, आराधना करती रही। आ कर उबारो नाथ अब, विनती ये करती रही। धैर्य को खोया नहीं था, कंटक भरा था कर्म पथ। ...