1 Part
241 times read
14 Liked
गज़ल मंहगाई की पड़ती है रोज मार देखिए। बदहाल हर इक शख्स है लाचार देखिए।। हर इक सफे पे चोरी डकैती बलात्कार। बस जुर्म से भरा हुआ अखबार देखिए।। दिन रात ...