मेरी अलमारीयाँ

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मेरी अलमारियाँ रोती है रो -रो कर कहती है . ऐ री सखी क्यों नहीं मिलने आती हो मुझसे पहले मुझे सजी सँवरी रखती थी अब उथल- पुथल करके रखती हो ...

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