उपन्यास-गोदान-मुंशी प्रेमचंद

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8 सम्पादकजी को अचम्भा हुआ -- अच्छा, तो आप वर्तमान व्यवस्था के समर्थक हैं? 'मैं इस सिद्धान्त का समर्थक हूँ कि संसार में छोटे-बड़े हमेशा रहेंगे, और उन्हें हमेशा रहना चाहिए। ...

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