उपन्यास-गोदान-मुंशी प्रेमचंद

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11 मालती ने उनकी लगाम खींची -- अच्छा, आपको भी फ़िलासफ़ी में दख़ल है। मैं तो समझती थी, आप बहुत पहले अपनी फ़िलासफ़ी को गंगा में डुबो बैठे। नहीं, आप इतने ...

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