मेरे चंद अहसास

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तारीख़    लम्हों की खता, दर्द -ए-ज़िंदगी बन गई,          इसे हाथों की लकीरों से हटाएं कैसे? मिलने बिछुड़ने का दिन एक था       फिर तारीख़ ...

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