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#लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता ओ साथी मेरे जीवन के कभी शब्द पढ़ो मेरे नैनन के खनखन खनखन कंगन खनके पायल छनछन छनछन छनके चमके मेरे माथे की बिंदिया हूँ मैं चंचल ...