प्रेमचंद साहित्यः अलंकार

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अलंकार 17 जेनाथेमीज-'डोरियन, तुम्हारी शंका निमूर्ल है। तुम्हें यह नहीं मालूम है कि जीवन के सवोर्च्च और गू़तम रहस्य बुद्धि और अनुमान द्वारा गरहण नहीं किये जा सकते, बल्कि अन्तज्योर्ति द्वारा ...

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