बोलो न सखी....

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# लेखनी दैनिक काव्य प्रति बोलो न सखी, कौन है वो, जिसने तेरा चैन लिया, मैंने देखा रात में तुम, कर रही थी सपनों में बतियाँ, बोलो न सखी, कौन है ...

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