कपाल कुंडला--बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय

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:५: समुद्रतट पर “...योगप्रभावो न च लक्ष्यते ते। विभर्षि चाकारमनिर्वृतानां मृणालिनी हैममिवोपरागम्॥” —रघुवंश। सबेरे उठते ही नवकुमार सहज ही उस कुटी से बाहर निकलकर घर की राह खोजने के लिए व्यस्त ...

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