कपाल कुंडला--बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय

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:६: कापालिक के साथ “कथं निगडसंयतासि द्रुतम् नयामि भवतीमितः” —रत्नावली। नवकुमार कुटीमें प्रवेश कर दरवाजा बन्द करते हुए अपनी हथेलीपर सर झुकाकर बैठ रहे। बहुत देर बैठे रहे; शीघ्र माथा न ...

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