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:९: देव-मन्दिर में “कण्व! अलं रुदितेन, स्थिरा भव, इतः पन्थानमालोक्य।” —शकुन्तला। सवेरे बड़े तड़के ही अधिकारी पुजारिन नवकुमारके पास आयीं। उन्होंने देखा कि अभीतक नवकुमार सोये न थे। पूछा—“अब बताइये, क्या ...