32 Part
140 times read
1 Liked
२: सराय में “कैषा योषित प्रकृतिचपला।” —उद्घवदूत। यदि रमणी निर्दोष सौन्दर्यविशिष्टा होती, तो कहता, पुरुष पाठक! यह आपकी गृहिणी जैसी सुन्दरी है। और सुन्दरी पाठिका रानी! यह आपकी शीशेमें पड़ने वाली ...