अक्ल का अकाल

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अक्ल का अकाल अक्ल का अकाल है, जी का ये जंजाल है दौड़ अंधी चल रही, होड़ सबको छल रही दिन रात एक हो रहा, कौन जागता कौन सो रहा इंसान ...

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