प्रेमचंद साहित्यः अलंकार

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4 किन्तु ईश्वर ने, जिसकी माया अभेद्य है, अपने इस भक्त की इच्छा पूरी न की ओर उसे आत्मज्ञान न परदान किया तो उसने शंका और भरांति वशीभूत होकर निश्चय किया ...

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