प्रेमचंद साहित्यः अलंकार

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5 पहले पापनाशी ईश्वर से तर्क न करता था। वह निरापद भाव से उसके आदेशों का पालन करता था। पर अब उसमें एक नये भाव का विकास हुआ-उसने ईश्वर से परश्न ...

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