नैया

1 Part

164 times read

0 Liked

               नैया ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी को समेटते रहे हम  वो रेत की तरह हाथों से पिसलती रही l बन्धन चाहा उसे जितना भी हम ने  ...

×