उपन्यास-गोदान-मुंशी प्रेमचंद

121 Part

168 times read

1 Liked

37 'उठा उठा, देर न कर। मुझे मालूम हो गया तू भला आदमी है। ' लकड़हारे ने डरते-डरते और रह-रह कर मिरज़ाजी के मुख की ओर सशंक नेत्रों से देखते हुए ...

Chapter

×