उपन्यास-गोदान-मुंशी प्रेमचंद

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39 इन बच्चों की माँ बकरी के लिए पत्तियाँ तोड़ रही थी। दो नये भले आदमियों को देखकर उसने ज़रा-सा घूँघट निकाल लिया और शर्मायी कि उसकी साड़ी कितनी मैली, कितनी ...

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