ज़िन्दगी

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जिंदगी को जितना समझना चाहती हूं  एक अबूझ पहेली बन सामने आती है  कभी तो बहुत सताती है  कभी सहेली  बन मनाती है  कभी किसी खास से मिलने की  आस जगाती ...

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