उपन्यास-गोदान-मुंशी प्रेमचंद

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होरी ने ज़मीन छुई और हाथ बाँधकर बोला -- मेरा सुबहा किसी पर नहीं है सरकार, गाय अपनी मौत से मरी है। बुड्ढी हो गयी थी। धनिया भी आकर पीछे खड़ी ...

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