उपन्यास-गोदान-मुंशी प्रेमचंद

121 Part

86 times read

1 Liked

होरी की फ़सल सारी की सारी डाँड़ की भेंट हो चुकी थी। वैशाख तो किसी तरह कटा, मगर जेठ लगते-लगते घर में अनाज का एक दाना न रहा। पाँच-पाँच पेट खानेवाले ...

Chapter

×