लेखनी प्रतियोगिता -06-Feb-2022 फटे जूते

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एक दिन देखी हमने इक दुकान,  जूते बढ़ा रहे थे जिसकी शान | हम भी गए दुकान के अंदर,  बैठा था वहाँ एक बंदर | एक जूते को वो फाड़ रहा ...

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