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स्वर साम्राज्ञी सुरों की देवी विराजे कंठ में जिसके सरस्वती!! बंसत पंचमी के अगले दिन, लेकर हमसे विदा पहुंच गईं है सुरलोक!! सदा छाया रहेगा इनके गीतों का जादू वहां भी ...