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*क्योंकि पुरुष हूँ मैं मुझे इतनी भी इजाज़त नहीं कि खुलकर आंसू बहा सकूँ, क्योंकि पुरुष हूँ मैं, साहस का प्रतीक, पत्थर सा निष्ठुर, भावनाविहीन। मेरा हृदय भी टूटता है, दर्द ...