लेखनी प्रतियोगिता -08-Feb-2022

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इज़हार-ऐ-मोहब्बत तपिस बढ़ा दी सीने में, जब से तुझको देखा हैं, रातों की नींद भी  शरारत करती हैं, करवटे भी कहाँ साथ देती हैं, मैं बैचेन हूँ  तुझसे मिलने को, इजहार-ए-मोहब्बत ...

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