मंज़िले

1 Part

152 times read

9 Liked

मंज़िले ढूढती फिर रही पता अपने राही का  काटो पर चल कर पाया साथ फूलों का  सुख की चाह में गले लगाया ग़मो को  ठंडी छांव की खातिर आग लगाई सुकुन ...

×