पहली रचना

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आज गली से गुजरूं और तेरा दीदार हो जाए  कुछ ऐसा करिश्मा मेरे परवरदिगार हो जाए  बस इक झलक मिल जाए मुझे अपने यार की फिर खिलाफ चाहे ये सारा संसार ...

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