शायर

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कहानी मोहब्बत की कहते कहते  हम कितना सह गए सहते सहते  कश्तियाँ लेकर उतरे थे लोग पानी मे  एक हम किनारे लग गए बहते बहते  खुशी चाहत की रास ना आई ...

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