उपन्यास-गोदान-मुंशी प्रेमचंद

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गोदान गोविन्दी ने कहा -- मैं तो ताँगा लायी हूँ। 'ताँगे को यहीं से विदा कर देता हूँ। ' मेहता ताँगे के पैसे चुकाकर लौटे, तो गोविन्दी ने कहा -- लेकिन ...

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