उपन्यास-गोदान-मुंशी प्रेमचंद

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गोदान गोबर को उतनी देर में घर की परिस्थिति का अन्दाज़ हो गया था। धनिया की साड़ी में कई पेंवदे लगे हुए थे। सोना की साड़ी सिर पर फटी हुई थी ...

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