उपन्यास-गोदान-मुंशी प्रेमचंद

121 Part

89 times read

1 Liked

गोदान गोबर को उतनी देर में घर की परिस्थिति का अन्दाज़ हो गया था। धनिया की साड़ी में कई पेंवदे लगे हुए थे। सोना की साड़ी सिर पर फटी हुई थी ...

Chapter

×