उपन्यास-गोदान-मुंशी प्रेमचंद

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गोदान यह तमाचा लगाकर गोबर आगे निकल गया। झिंगुरी मन में ऐंठकर रह गये। लौंडा कितने घमंड की बातें करता है, मानो धर्म का अवतार ही तो है। इसी तरह गोबर ...

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