लेखनी कविता -11-Feb-2022 (प्रकृति का स्वरूप )

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सुंदर आच्छादित  मन को हर्षाता मंत्रमुग्ध  करे  प्रकृति  का स्वरूप अरुणोदय हुई तो खिली कलियां और पवन, जल–धारा बहे समरूप सुंदर बड़ा धरा की छटा अरु स्वरूप वसुंधरा की माटी देती ...

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