रँग

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अपना तुझे हम समझने लगे  तेरे लिए दुनिया से उलझने लगे  रँग चाहत के जीवन में भरने की खातिर  तुझे ही देख सजने सँवरने लगे  बस तेरी ही बातें करने लगे  ...

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