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विषय :कालाबाजारी विधा : कविता वार्षिक प्रतियोगिता हेतु कालाबाजारी का फल रहा कारोबार , पनप रहा विष जड़ों में फैल रहा भ्रष्टाचार ..! नीलाम पड़ रहा निर्धन का घर , ऋण ...