वार्षिक कविता प्रतियोगिता- विश्वास

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"विश्वास हो तुम" मौन में छिपा हुआ विश्वास हो तुम विचारों की विचारशीलता का विस्तार हो तुम ।। साकार  हो तुम निराकार  हो तुम इंतजार की प्रत्येक हद का सरोकार हो ...

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