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प्रेम रह जाता है अप्रेम जब तय करनी होती है परिमित दूरी और पाना होता है अपरिमित प्रेम। प्रेम हो जाता है क्षीण जब वो अस्थिर पृथ्वी के दो ध्रुवों पर ...