विश्वास की डोर। लेखन ईयर प्रतियोगिता

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एक विश्वास की डोर ही से मै,  तेरे पीछे पीछे बंधी चली आई । सोचा ना अपना मैंने ,कल कैसा होगा। तेरा हाथ पकड़कर चुपचाप चली आई। मेरा विश्वास मत तोड़ना ...

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