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कविता का शीर्षक- अनाज मैं एक किसान हूँ, दिनभर तपती धूप में , हल चलाकर, अनाज उगाता हूँ। अमीर लोग जिस अनाज को बेस्वाद कहकर, फैंक देते हैं कचरे के डिब्बे ...