हम सफर नहीं होते

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गजल वो भी उड़ते हैं यहाँ जिनके पर नहीं होते। कुछ खवरदार यहाँ बेखवर नहीं होते।। सबको दरकार है रोटी मकान कपड़े की। कई बेघर हैं यहाँ जिनके घर नहीं होते।। ...

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