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येकैसी मज़बूरी उफ़ ये कैसी मज़बूरी है आदमी की आदमी से दूरी है धनी राज कर रहे महलों में निर्धन तड़प रहे सड़कों पर कटते महल बनाने वाले हाथ देता नहीं ...