वार्षिक कविता प्रतियोगिता- अनाज

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"अनाज" अनाज के इक इक दाने को मोहताज हम हो जायेंगे यूं ही हम गांवों को अगर शहरों में बदलते जायेंगे  अपनी ही संस्कृति से हम दूर बहुत हो जायेंगे यूं ...

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