लेखनी-कविता- मैं पीता हूँ -18-Feb-2022

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( 65 ) ✍🏻 मैं पीता हूँ✍🏻 मैं पीता हूँ   पीता ही जाऊँगा, जाम पर जाम आज, मंदिर नहीं मस्जिद नहीं  मैं बैठा हूं मयखानों में आज, जिंदगी के बुरे वक्त ...

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