उपन्यास-गोदान-मुंशी प्रेमचंद

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गोदान--मुंशी प्रेमचंद मगर ज़मीन दोनों को एक-सी प्यारी थी। उसी पर तो उनकी इज़्ज़त और आबरू अवलिम्बत थी। जिसके पास ज़मीन नहीं, वह गृहस्थ नहीं, मजूर है। होरी ने कुछ जवाब ...

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