उपन्यास-गोदान-मुंशी प्रेमचंद

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गोदान--मुंशी प्रेमचंद झुनिया के पास इसका कोई जवाब न था। वह उठकर पतीली में कचालू के लिए आलू उबालने लगी। गोबर को ऐसा पाषाण-हृदय उसने न समझा था। इस बेदर्दी ने ...

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