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सिगरेट का धुआं/बोधकविता सिगरेट के उड़ते हुए धुएं नें मुझसे कहा बस यही जीवन है जो कुछ भी है मेरी तरह बस वर्तमान न भूत,न भविष्य जगत नश्वर है और जीवन ...